Month: दिसम्बर 2019

वचन द्वारा मार्गदर्शित

लन्दन के बी बी सी में, पॉल आर्नोल्ड की पहली प्रसारण नौकरी रेडियो नाटकों में “चलने की आवाज़” लानी थी l जब अभिनेता चलने वाले किसी दृश्य के दौरान आलेख(script) से पढ़ते थे, तो स्टेज मेनेजर के रूप में पॉल अपने पैरों से उसके अनुकूल आवाज़े निकालते थे – सावधानीपूर्वक अभिनेता की आवाज़ और बोली जानेवाली पंक्तियों के साथ अपनी गति को मिलाकर l उन्होंने समझाया, “कहानी में प्रमुख चुनौती अभिनेता के अधीन होना था, इस तरह से हम दोनों एक साथ काम करते थे l”

इस तरह का एक दिव्य संस्करण भजन 119 के लेखक द्वारा तलाशा गया था, जो परमेश्वर के वचन के उपदेशों द्वारा जीने पर बल देता है l जैसा कि भजन 119:1 कहता है, “क्या ही धन्य हैं वे जो चाल के खरे हैं, और यहोवा की व्यवस्था पर चलते हैं!” इस तरह परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शित और उसके निर्देशों का अनुसरण करने से, हम शुद्ध रहते हैं (पद.9), नफरत पर जय पाते हैं (पद.23), और लालच से बचते हैं (पद.36) l वह हमें पाप का सामना करने की योग्यता (पद.61), परमेश्वर का भय मानने वाले मित्र (पद.63), और आनंद से जीने की योग्यता देगा (पद.111) l

धर्मविज्ञानी चार्ल्स ब्रिजेस ने पद.133 पर टिपण्णी की : “जब मैं इसलिए संसार में एक कदम रखता हूँ, तो मुझे पूछने दीजिए – क्या यह परमेश्वर के वचन में सुव्यवस्थित है, जो मसीह को मेरे सिद्ध नमूना के रूप में प्रदर्शित करता है?”

इस तरह चलते हुए, हम यीशु को संसार को दिखाते हैं l काश वह हमें उसके साथ इतनी निकटता से चलने में हमारी करे कि लोग हमारे जीवनों में हमारे अगुआ, मित्र और उद्धारकर्ता की झलक देखें!

बड़ा फेर-बदल

द कॉल ऑफ़ सर्विस(The Call of Service) पुस्तक में, लेखक रोबर्ट कोल्स, सेवा करने के हमारे कारणों की खोज करते हुए, एक वृद्ध महिला की दूसरों के लिए सेवा की मार्मिक कहानी बताते हैं l एक बस ड्राईवर के रूप में, उसने उन बच्चों की ओर बहुत ध्यान दिया, जिन्हें वह हर दिन स्कूल ले जाती थी – उन्हें होमवर्क पर क्विज करवाना और उनकी सफलताओं का जश्न मनाता l “मैं इन बच्चों को जीवन में सफल होते देखना चाहती हूँ,” उसने अपने प्रेरणा के बारे में कहा l लेकिन एक और कारण भी था l

एक युवा के रूप में, एक आंटी के शब्दों ने इस महिला को अन्दर तक झकझोर दिया था l उन्होंने कोल्स से कहा, “वह हमसे कहने वाली थी कि हमें कुछ ऐसा करना था जिसे परमेश्वर देख सकेगा, या फिर हम बड़े फेरबदल में खो जाएँगे!” फैसले की “बड़े फेरबदल” के बाद नरक की सम्भावना पर चिंतित, इस महिला ने “’परमेश्वर का ध्यान पाने” के लिए तरीके बनाए थे – चर्च जाना ताकि “वह मुझे निष्ठावान देखेगा” और दूसरों की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हुए ताकि परमेश्वर ”जो मैं कर रही थी उसे दूसरों से सुन लेगा l”

मुझे उसकी बातें पढ़कर दुःख हुआ l कैसे इस प्रिय महिला को यह कभी नहीं पता था कि उसे पहले से ही परमेश्वर का ध्यान था? (मत्ती 10:30) l उसने यह कैसे नहीं सुना कि यीशु ने हमारे लिए बड़े फेरबदल का ध्यान रखा, हमेशा के लिए न्याय से आजादी की पेशकश की (रोमियों 8:1)? वह किसे चूक गयी थी कि माक्ष अच्छे कर्मों के साथ नहीं खरीदा जा सकता है, लेकिन जो विश्वास करता है यह उपहार उसके लिए है? (इफिसियों 2:8-9) l

यीशु का जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान हमारे भविष्य को परमेश्वर के साथ संभालते हैं और आनंद के साथ दूसरों की सेवा करने के लिए स्वतंत्र करते हैं l

देने में बढ़ना

“मैं तुम्हारे लिए एक एक उपहार लाया हूँ!” मेरे दो वर्ष के पोते ने मेरे हाथों में एक बॉक्स रखते हुए उत्साह से चिल्लाया l “मेरी पत्नी मुस्कराती हुयी बोली, “उसने इसे खुद से चुना है l”

मैंने बॉक्स को खोलकर पाया कि उसमें उसके प्रिय कार्टून चरित्र की क्रिसमस सजावट है l “क्या मैं देख सकता हूँ?” उसने उत्सुकता से पूछा l फिर वह शाम के बाकी समय में “मेरे” उपहार के साथ खेलता रहा, और मैं उसको देखकर मुस्कुराता रहा l

मैं मुस्कुराया क्योंकि मैंने याद किया कि मैंने अपने प्रियों को अतीत में उपहार दिए थे, जैसे कि संगीत एल्बम जो मैंने अपने बड़े भाई को एक क्रिसमस में दिया था जब मैं हाई स्कूल में था क्योंकि मैं वास्तव में चाहता था (और दिया भी) l और मैंने महसूस किया कि कैसे बर्षों बाद परमेश्वर अभी भी मुझे खींच रहा था और मुझे और अधिक निःस्वार्थ रूप से देना सिखा रहा था l

देना एक ऐसी बात है जिसमें हम उन्नति करते हैं l पौलुस ने लिखा, “इसलिए जैसे तुम हर बात में . . . बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ” (2 कुरिन्थियों 8:7) l अनुग्रह हमारे देने को भर देता है जैसा कि हम समझते हैं कि जो कुछ हमारे पास है वह परमेश्वर की ओर से है, और उसने हमें दिखाया है कि “लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35) l

परमेश्वर ने उदारता से हमें सबसे निःस्वार्थ उपहार दिया : उसका एकलौता पुत्र, जो हमारे पापों के लिए मर कर जीवित होनेवाला था l जो इस परम उपहार को प्राप्त करता है, वह माप से परे समृद्ध होता है l जब कि हमारे हृदय उस पर केन्द्रित हैं, हमारे हाथ दूसरों के लिए प्यार में खुलते हैं l

एक क्रिसमस आगंतुक

1944 की क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, “ओल्ड ब्रिन्कर नाम का एक व्यक्ति जेल के एक हॉस्पिटल में मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ, अपने सह बंदियों के नेतृत्व में क्रिसमस सभा के अस्थायी इंतजाम का इंतज़ार कर रहा था l “संगीत कब शुरू होने वाला है?” उसने विलियम मैक्डोगल से पूछा, जो उसके साथ सुमात्रा के मुन्टोक जेल में कैद था l “शीघ्र,” मैक्डोगल ने उत्तर दिया l “अच्छा,” मरते हुए व्यक्ति ने जवाब दिया l “फिर मैं उनकी तुलना स्वर्गदूतों से कर पाऊंगा l”

यद्यपि दशकों पहले ब्रिन्कर परमेश्वर में अपने विशवास से दूर चला गया था, अपने मरने के दिनों में उसने अपने पापों को स्वीकार किया और उसके साथ शांति पायी l मैक्डोगल ने कहा, “अप्रिय रुख के साथ दूसरों का अभिवादन करने के बजाय, वह मुस्कुराता था, जो “बढ़िया रूपांतरण था l”

ग्यारह दुर्बल कैदियों के द्वारा उसके अनुरोध पर, “पावन रैन” के गायन के बाद, ब्रिन्कर की शांति से मृत्यु हो गई l यह जानकार कि ब्रिन्कर ने एक बार फिर यीशु का अनुसरण किया और स्वर्ग में परमेश्वर के साथ संयुक्त हो जाएंगे, मैक्डोगल ने ध्यान दिया, “ शायद मृत्यु ओल्ड ब्रिन्कर के लिए एक स्वागत योग्य क्रिसमस आगंतुक थी l”

ब्रिन्कर ने अपनी मृत्यु का पूर्वानुमान कैसे लगाया, यह मुझे शमौन की याद दिलाता है, एक पवित्र व्यक्ति जिसे पवित्र आत्मा द्वारा उस पर प्रगट हुआ था कि “जब तक वह प्रभु के मसीह को देख न लेगा, तब तक मृत्यु को न देखेगा” (लूका 2:26) l जब शमौन ने यीशु को मंदिर में देखा, तो उसने कहा, “अब तू अपने दास को . . . शांति से विदा करता है l क्योंकि मेरी आँखों ने तेरे उद्धार को देख लिया है” (पद.29-30) l

जैसा कि ब्रिन्कर के साथ हुआ, सबसे बड़ा क्रिसमस उपहार जो हम प्राप्त कर सकते हैं या साझा कर सकते, वह यीशु में बचाने वाला उद्धार है l

स्वीकृतियों का धागा

एक क्रिसमस के समय, मेरी दादी ने मुझे सुन्दर मोती का एक हार दिया l वे सुन्दर मोती मेरे गले में चमकते रहे जब तक कि एक दिन धागा टूट नहीं गया l मोती हमारे घर की सख्त लकड़ी के फर्श पर सभी दिशा में उछलने लगे l तख्तों पर रेंगते हुए, मैंने हर एक मोती को बटोर लिया l अपने दम पे, वे छोटे थे l लेकिन ओह, जब वे एक धागे में पिरोए हुए थे, उन्होंने कितना प्रभाव दिखाया था!

कभी-कभी परमेश्वर को मेरी हाँ इतनी बेतुकी लगती है – उन अलग-अलग मोतियों की तरह l मैं यीशु की माँ मरियम के साथ अपनी तुलना करती हूँ, जो बहुत ही आश्चर्जनक रूप से आज्ञाकारी थी l उसने हामी भरी जब उसने मसीहा को अपने कोख में रखने की परमेश्वर की बुलाहट को गले लगाया l “’देख, मैं प्रभु की दासी हूँ, मुझे तेरे वचन के अनुसार हो’” (लूका 1:38) l क्या वह सब समझ पायी थी जो उससे माँगा जाने वाला था? कि आगे चलकर  उसे अपने पुत्र को क्रूस पर छोड़ने की उससे भी बड़ी स्वीकृति?

स्वर्गदूतों और चरवाहों की मुलाकात के बाद, लूका 2:19 हमें बताता है कि मरियम ने “सब बातें अपने मन में रखकर सोचती रही l” रखना अर्थात् “संचित करना” सोचना अर्थात् “एक साथ पिरोना l” यह वाक्यांश मरियम द्वारा लूका 2:51 में दोहराया गया है l वह समय के साथ अनेक हाँ के द्वारा प्रत्युत्तर देने वाली थी l

जैसे मरियम के साथ हुआ, पिता के अनुरोध के प्रति हमारी आज्ञाकारिता की कुंजी अनेक हाँ के साथ एक एक करके मिलेंगी, जब तक कि वे एक समर्पित जीवन का खज़ाना न बन जाए l